आजादी
आजादी मेरा है अधिकार
गुलामी से होगा हमें रार
हम मानव आजाद पंछी
उड़ते है परवाज बन तन की
देश हमारा आजाद है सारा
आजादी तन मन से है प्यारा
पर्वत से भी टकरा जाना है
गुलामी से बगावत करना है
हर जुल्म से होगी हमारी बगावत
जब आयेगी हिन्द पे कभी आफत
कुर्बानी हम सरहद पर देगें
देश के हित मे सदैव बात करेगें
सरहद है सुरक्षित सब हमारा
मॉ भारती के सपूत हैं सारा
एक एक कतरा खून बहायेगें
देश को कभी गुलाम ना बनायेगें
जो भी हैं मॉ भारती के पूत
वो बनेगे राष्ट्र के हम सब दूत
रोम रोम में है राष्ट्रभक्ति हमारी
हिन्द की धरती तीर्थस्थल है सारी
आओ हम सब कसमें यहॉ खायें
हिन्द को मिलकर विश्व गरू बनाये
देश हमारा विश्व में हैं अब प्यारा
भारत की गुँज रहा है जयकारा
— उदय किशोर साह