पत्र पुराना पाया होगा
यादों की गठरी से उसने, पत्र पुराना पाया होगा ।
तीव्र हुई होगी उर सरगम ,याद बहुत कुछ आया होगा ।।
नैनों में भर आये होंगे, आसूँ के संग स्वप्न पुराने ।
उधडे होंगे घाव दिलों के , फिर तो जाने या अंजाने ।।
आग लगी होगी अंतस में ,मुख उसका मुरझाया होगा ।
यादों के गठरी से उसने पत्र पुराना पाया होगा ।।
याद उसे तो अब भी होगा ,आगे बढ़कर मुड़ जाना वह।
आखों का मिल जाना यूँही,दिल की धड़कन बढ़ जाना वह ।।
बातों ही बातों में मेरा,नाम लवो पर लाया होगा ।
यादों के गठरी से उसने , पत्र पुराना पाया होगा ।
पहली बारिश की खुशबू सी ,पहला प्यार महकता होगा ।
हाथ मिला कर वापस जाना , टीस हृदय में उठता होगा ।।
लौट नहीं पाया होगा जब ,दिल को क्या समझाया होगा ।
यादों की गठरी से उसने ,पत्र पुराना पाया होगा ।।
— साधना सिंह