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“नवगछिया के नागार्जुन डॉ छेदी साह” स्मृति ग्रंथ का लोकार्पण

भागलपुर। साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं है, एक अनमोल विरासत है, जो युगों-युगों तक अक्षुण्ण और शाश्वत बना रहता है। ये बातें परम हंस स्वामी आगमानन्द  महाराज ने कही। वे प्रो.(डॉ.) छेदी साह स्मृति मंच की ओर से रविवार के ज्योति  विहार कॉलोनी स्थित  शीला-छेदी सदन के सभागार में आयोजित स्मृति ग्रन्थ “ डॉ. छेदी साह : नवगछिया के नागार्जुन“ के लोकार्पण समारोह के उद्घाटन के अवसर पर  अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मौके पर स्वामी आगमानन्द जी महाराज ने कहा कि डॉ. छेदी साह जी का उनका  शुरू से आत्मीय सम्बन्ध रहा है। उन्होंने बाबा नागार्जुन की तरह विषम परिस्थितियों का साहसपूर्वक सामना करते और संघर्ष का रुख अख्तियार करते हुए साहित्य सृजन के कार्य मे लीन रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि साहित्य एक ऐसा विलक्षण धरोहर है, जो कभी समाप्त नहीं होता है, वह सदा समाज का नये-नये  तरीके से मार्गदर्शन करता रहा है। वहीं उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी के व्यक्तित्व का मूल्यांकन सहज नहीं होता है।साहित्य में जनहित समाहित है। इससे तमाम विकारों का परिष्कार किया जाता है। साहित्य के सहयोग से व्याप्त वैमनस्य क्लेश को दूर किया जा सकता है। वहीं उन्होंने डॉ. छेदी साह के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वे साहित्य के प्रति जीवन पर्यंत समर्पित रहे। पुस्तक का लोकार्पण करते हुए हिन्दी विभागाध्यक्ष नृपेंद्र प्रसाद वर्मा ने कहा कि रचनाकार रचना में जीवित रहते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि डॉ. छेदी साह और उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन होना चाहिए। महापौर डॉ. वसुंधरा लाल ने कहा कि डॉ. छेदी लाल के विचारों से आम जनता को अवगत कराने की आवश्यकता है। वे गरीबी में पल बढ़कर संघर्ष की रुख अख्तियार करते हुए सदा रचनाधर्मिता में लगे रहे। ऐसे में उनके आदर्शों और रचनाधर्मिता को आत्मसात करने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय महामंत्री हीरा प्रसाद हरेंद्र ने गीत और कविता के माध्यम से डॉ.छेदी साह के व्यक्तित्व को रेखांकित किया। वहीं रामजनम मिश्र ने डॉ. छेदी साह के साथ बिताये क्षणों को याद किया। मौके पर मनोविभाग प्राध्यापक डॉ. विवेकानंद साह ने कहा कि डॉ.छेदी साह आर्थिक रूप से विपन्न रहते हुए संघर्ष का रुख अख्तियार करते हुए सदा लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ते रहे।  मौके पर तिमाभाविवि के जन्तु विज्ञान के प्राध्यापक अशोक कुमार ठाकुर ,  विद्यावाचस्पति आमोद कुमार मिश्र ,शंभु प्रसाद राय, इंदुभूषण मिश्र देवेंदु,डॉ.राजेन्द्र मोदी  नकुल निराला, पंकज पांडेय , डॉ. फूल कुमार अकेला, डॉ. विभुरंजन और पुष्प कुमार राय समेत दर्जनों कवियों ने कविता एवं गीतों का पाठ कर तथा अपनी भावनाओं-संवेदनाओं को उद्भाषित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्नातकोत्तर अंगिका विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. मधुसूदन झा की अध्यक्षता में इसका संचालन गीतकार राजकुमार ने किया, वहीं धन्यवाद ज्ञापन कमलाकांत कोकिल व राजीव नयन ने संयुक्त रूप से किया।