कविता

संकटमोचक से फरियाद

 

आज भोर जैसे मेरा भाग्य खुल गया

जब भोर में मैं गहरी नींद में सो रहा था

तब मुझे ऐसा महसूस हो रहा था

कमरे में हजारों गुना प्रकाश अचानक फैल गया था।

चकाचौंध इतनी की एकदम से मेरी नींद उचट गई

पर प्रकाश इतना तीव्र था

कि मेरी आंखें नहीं खुल पा रही थी।

मैं हड़बड़ाया, बजरंगबली का नाम

अनायास ही जुबान पर आया।

फिर एक पल में प्रकाश सामान्य हो गया

पर एक साया मुझे साफ नुमाया हो रहा था

साये में मुझे राम भक्त हनुमान का अक्स नज़र आया ।

मैंने साये को जय श्री राम कहकर नमन किया

साये ने दोनों हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया।

डरते डरते मैंने कहा- प्रभु मैं कुछ कहना चाहता हूँ

कुछ फ़रियाद आपसे करना चाहता हूँ

आपकी इजाजत हो तो मैं मुंह खोलूं

अपने मन की बात बोलूँ ।

हनुमान जी प्रसन्न होकर बोले-

वत्स! जो मांगना हो मांग लो

मन के सारे भेद बेझिझक खोल दो

एक सांस में जो कहोगे, वो सब पूरा कर दूंगा

देर करोगे तो फिर मैं निकल लूंगा।

मेरे मन की मुराद जैसे पूरी हो गई

मैंने हाथ जोड़ कर कहा

जी प्रभु! जैसी आपकी आज्ञा

आप संकट मोचक हो हम जानते हैं

लेकिन हम अपने लिए कुछ नहीं चाहते हैं।

बस! गरीब, असहाय, कमजोरों के संकट मिटाओ

बहन बेटियों के मन का डर दूर भगाओ

भ्रष्टाचार, अत्याचार, अनाचार मिटाओ

नारियों की लाज बचाने का कोई स्थाई राह दिखाओ।

साथ ही सनातन संस्कृति का जो उपहास कर रहे हैं

देवी देवताओं पूजा स्थानों का जो अपमान कर रहे हैं

मंदिरों, धार्मिक स्थलों को जो तोड़ फोड़

और दंगा फसाद कर रहे हैं

राष्ट्र समाज में अस्थिरता फैलाने का जो षड्यंत्र कर रहे हैं

जाति धर्म नफरत का जो वातावरण बना रहे हैं

सामाजिक सौहार्द में जहर घोल रहे हैं

जो प्रभु श्रीराम का भी अपमान कर रहे हैं

देवी देवताओं की शोभा यात्राओं, पूजा पंडालों पर

जो गोली पत्थर बम बरसा रहे और आग लगा रहे हैं

अपने धर्म और कट्टरपंथ की आड़ में सनातन धर्म,

संत महात्माओं और भगवा रंग पर उंगलियाँ उठा रहे,

हिंदू धर्म और हिंदुस्तान को कमजोर  ही नहीं

बदनाम भी कर रहे हैं,

कुछ नकली भक्त भी हैं जो जयचंद बन रहे

उन सबका अब पक्का इलाज कर दो

हे संकट मोचक! बस इतना इंतजाम कर दो।

अपने संकटमोचक नाम का फिर से डंका बजा दो

अपने जीवित होने का आज फिर

सारी दुनिया को अहसास करा दो।

पापियों, जालसाजों का धरा से नाम मिटा दो

जय श्री राम जय श्री राम नाम की गूँज

संसार के हर प्राणी तक पहुँचा दो

हे पवनपुत्र! बस इतनी सी मुझ पर कृपा कर दो

मेरी फरियाद पर भी तनिक तो ध्यान दे दो।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921