श्री चित्रगुप्त जी भगवान
चैत्र मास की पूर्णिमा को
भगवान ब्रह्मा जी की काया से प्रकटे
और कायस्थ कहाए।
ब्रह्मा जी के पहले तेरह पुत्र ऋषि और
चित्रगुप्त हुए चौदहवें पुत्र देव हो गये
वे ही चित्रगुप्त का नाम पाए।
चित्रगुप्त के वंशज कायस्थ कहलाए
कलम दवात हाथ उनके सदा ही दिखते
हर प्राणी का लेखा जोखा रखते,
पाप पुण्य,अच्छे बुरे कर्मों को
वे हरेक के खाते में भरते।
धर्मराज हर निर्णय
चित्रगुप्त के अनुसार ही करते,
उनके लेखा जोखा से ही
प्राणी को स्वर्ग नरक देते।
लेखनी के देवता कहलाते
सर्वधर्मों के पूज्य देवता
सब पर कृपा बरसाते।
कायस्थों के कुल देवता
श्री चित्रगुप्त भगवान कहलाते,
कायस्थ वंशज गर्व इस पर करते
कलम दवात की पूजा करते
नित ध्यान चित्रगुप्त जी का करते।
श्री चित्रगुप्त जी का जो जन
श्रद्धा से नित करता ध्यान,
निश्चय ही भगवान चित्रगुप्त जी
करते हैं सदा उसका कल्याण।
देवों में भी भगवान चित्रगुप्त जी की
है गरिमा महिमा बड़ी अपार,
तभी तो पूजते इनके वंशज
और सब सकल संसार।