सामाजिक

प्रयास जारी रखो

 

प्रयास -एक ऐसा शब्द है जो उम्मीदें जगाए रखता है, हमें प्रेरित करने वाला है। इस दुनिया का छोटे से छोटा काम भी बिना प्रयास के संभव नहीं है। भले ही प्रयास कितना छोटा ही क्यों न हो।करना तो पड़ता है।थाली से खाने को मुंह तक लाने के लिए भी प्रयास करना पड़ता है, तभी पेट भरता है। इसलिए हमें प्रयास को जीवंत रखना चाहिए।
जीवन के क्षेत्र में हम हर कदम पर और केवल एक प्रयास में ही सफल हो जाएं ये भी संभव नहीं है। हमें अपने प्रयास जारी रखने की तब तक जरूरत है, जब तक हम सफल न हो जाएं। स्वयं निराश होकर बैठने से अच्छा ही कि हम एक प्रयास और करने में झिझकें नहीं। चहे वो प्रयास प्रथम, द्वितीय तृतीय या और बार बार बार हो, कितनी भी बार करना पड़े।विश्वास कीजिये कि प्रयास जारी रखने का हौंसला ही हमें सफलता का आनंद दिलाएगा, तब ही हम सब अपना सारा कष्ट भूलकर सफलता का जश्न मनाने की स्थिति में हो सकते हैं।यदि हम एक दो बार में हार मानकर प्रयास ही नहीं करेंगे, तो असफलता के दोषी हम स्वयं ही होंगे।क्योंकि प्रयास जारी रखना हमारी नियति, जिम्मेदारी है जिससे मुंह मोड़कर आप और किसी अन्य कारक या व्यक्ति को दोषी नहीं ठहरा सकते।
इसलिये सबसे बेहतर यही है कि अपने प्रयासों को जारी रखिये।यही हमारे लिए बेहतर और उपलब्धियों का परिचालक बनेगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

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