नाशाद आज बहोत है दिल हमारा
उदासी सी छाई हुई है ज़िनदगी में
ख़ुशी कोई नही दी मुहबबत ने हमें
बे ज़ारी ही मिली है हमें ज़िनदगी में
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गिला फिर भी नही कोई इस ज़माने से
बे ख़ुदी सी आ गैई है हमारी ज़िनदगी में
जाने दुनिया की कौन सी गरदिशों में हैं हम
काम कोई आई नही दुनयिा हमे ज़िनदगी में
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आशक़ी के ग़म में बरबाद हो गैए हैं हम
दासतान बन के रैह गैए हैं हम ज़िनदगी में
नाम अब हमारा नही आए गा किसी कहानी में
बदनाम हो के रैह गैए हैं हम ज़िनदगी में
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बहोत ही बे नियाज़ हो गैई हैं अदाएं
मज़ा अब हमें मिलता नही ज़िनदगी में
हसरत थी हमारी ख़ुशी देखना चेहरे पर
नक़ाब में ही छुपे रैह गैए आप ज़िनदगी में
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खुली फ़ज़ा की उमीद में तडपते हैं परिनदे –मदन–
सयाद की क़ैद में बंद हो के रैह गैए हैं हम ज़िनदगी में
पयार आख़र हो ही गैया है परिनदे को पिनजरे से
बंद पिनजरे में हो कर रैह गैए हैं हम ज़िनदगी में