कविता

अतीत बन गया

बड़े आत्मविश्वास से अपना डर
सारी दुनिया को बताता था,
सरकार से खतरा और मीडिया पर भरोसा जताता था
सरकार हत्या कराना चाहती है
मिट्टी में मिलाने के बाद रगड़ रही है
उसकी जुबान यही कहती थी
मीडिया की वजह से वो सुरक्षित है
बस इसीलिए थोड़ा निश्चिंत था
मीडिया की नजरों में हमेशा रहना चाहता था,
एक तीर से दो शिकार करने का इरादा था
अधिक से अधिक चर्चा में रहना चाहता था।
सजा के बाद भी अपनी हनक का
प्रचार करते रहना चाहता था
अपने नाम का जलवा बनाए रखना चाहता था
इसीलिए मीडिया की गोद में
हर समय खेलना चाहता था।
उसका यही भ्रम उसे ले डूबा
जिस मीडिया की छांव में वह तना रहता था
उसी मीडिया की आड़ में वह अतीत बन गया।
जिसकी आशंका किसी को सपने में भी न था
कुछ वैसा घटना क्रम घट गया
शासन प्रशासन ही नहीं आमजन को भी
शातिर छोकरों का खेल चौंका गया।
खुद को खुदा समझने वाला
नये नवेले छोकरों का शिकार हो गया,
जिसके नाम की दहशत से
अच्छे अच्छों को पसीना छूट जाता था
वह स्वयंभू खुदा तीन छोकरों की
अप्रत्याशित उदंडता की भेंट चढ़ गया।
अपने साथ साथ अनुज को भी ले गया
एक नई बहस की जमीन दे गया
वह क्या था विदा होकर भी बता गया
भले ही वह अतीत बन गया पर
हर किसी के लिए अलग अलग संदेश दे गया
हर जुबान पर अपना नाम चढ़ा गया,
अपने नाम का मतलब समझा गया
यह और बात है कि खुद तो आजाद हो गया
पर अपने परिवार, रिश्तेदारों, सिपहसालारों को
लुका छिपी का खेल खेलने के लिए छोड़ गया
जाने कितनों जीवन को बर्बाद कर गया।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921