गज़ल
रिश्वत का हुनर जिसके पास होता है
वही उनकी नज़रों में खास होता है
ग़रीब अब भी रहता हैं अंधेरों में
नेताओं के यहां उजास होता है
लोग उनको ही पूजते हैं अब यारों
कुर्सी और पद जिनके पास होता है
उसे कोई भी कर नहीं सकता ख़ारिज
जिनकी जुबान में ही मिठास होता है
दूजों के लिए खोदा कुआं खुद गिरे
ऐसे लोगों का उपहास होता है
जो भी आता मसीहा वादे लेकर
आमजन उससे ही निराश होता है
कितना ही च़ीखों पड़ेगा न कोई असर
भ्रष्ट लोगों का जहां वास होता है
— रमेश मनोहरा