कविता

मुझे टांग खींचने में मजा आता है

जब किसी को खूब तरक्की करते देखता हूं
तो मुझे बहुत जलन खोरी होती है
उसकी टांग खींचने के प्लान में भिड़ जाता हूं
क्योंकि मुझे टांग खींचने में मजा आता है
व्हाट्सएप ग्रुप में जब किसी की तारीफ सुनता हूं
तो मुझे पेट दर्द चालू हो जाता है उसकी
कमजोरियों को व्हाट्सएप पर आउट करता हूं
क्योंकि मुझे टांग खींचने में मजा आता है
जब किसी के आर्टिकल रचनाएं बढ़िया होते हैं
तो उसपर कॉपी पेस्ट के आरोप लगाता हूं
संपादकों को उसकी बुराइयां सुनाता हूं
क्योंकि मुझे टांग खींचने में मजा आता है
जब धार्मिकस्थानों समाज में कद बड़ा देखता हूं
तो समाज में उसपर लांछन लगाता हूं
बदनाम करने में कसर नहीं छोड़ता हूं
क्योंकि मुझे टांग खींचने में मजा आता है
एक उंगली दूसरों पर उठाता हूं लेकिन
मेरे तरफ तीन उठती है बड़ा शर्मिंदा होता हूं
जलन खोरी की सजा काटता हूं पर क्या करूं
मुझे टांग खींचने में मजा आता है
— किशन सनमुख़दास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया