हम कहाँ जाऐं
छोड कर यह दुनिया आपकी जाऐं तो हम कहाँ जाऐं
हम दरद कोई नही हमारा दासतान अपनी किस को सुनाऐं
मुहब्बत इस ज़िनदगी नें हमने की है सिर्फ़ आप से
दिल अपना किसी और से अब हम कैसे लगाऐं
बुहत लोग हों गे इस दुनिया में आप को चाहने वाले
हम तो दीवाने हैं सिर्फ़ आप के दिल आप से क्यूं ना लगाऐं
भिखर जाएगा टूटकर बुहत ही नाज़ुक है यिह दिल हमारा
वफ़ा के बदले में अगर हम आप से पाऐंगे जफ़ाऐं
परवाने हैं हम भी ज़माने के रहेंगे शमा के इर्द गिर्द
वफ़ा के मारे अपने आपको जलने से कैसे बचाऐं
परवाने तो रैहते हैं शमा के दिल में काम उन का है जलना
रस्मे वफ़ा की बात है यह आपको हम कैसे समझाऐं
खेल बुहत सारे खेल चुकी यिह दुनिया साथ हमारे जज़बातों के
अब और कितना हम अपनी आँखों को किस तराह से रुलाऐं
दिल हमारा जब हमने खोया है दुनिया में आप ही की
तो ढ़ूँढने इसको कहीं और क्यूं भला हम कैसे जाऐं
खत लिखा मुहब्बत का और भेज दिया क़ासद के हाथ से मदन
नाम लिखा तो हम भूल गए याद आया हमको बाद में
बात यह जब हम ने सुनाई इस दुनिया के सामने
सबने यही कहा मिलकर सोचिये कहीं पागल ना हम हो जाऐं