गीत/नवगीत

पर तू न घबराना

विकट घड़ी है विपद बड़ी है, पर तू न घबराना
अंगारों के सीने पर, चलकर भी तू मुसकाना।

बाधाएँ बन काल कराल, जीवन में आती हैं
धूल भरी आँधी की चकरी, पथ से भटकाती हैं
अगर सामने मौत खड़ी हो, उससे भी टकराना
अंगारों के सीने पर, चलकर भी तू मुसकाना।1।

तन तेरा गर साथ ना दे तो, मन झुकने ना देना
मन के आगे हार मानती, विश्व विजेता सेना
एक साँस भी रहे जो बाकी, यम से भी भिड़ जाना
अंगारों के सीने पर, चलकर भी तू मुसकाना।2।

आज रात हो भले ही काली, कल सूरज निकलेगा
तेरे तप से बहा पसीना, सोना बन बिखरेगा
लक्ष्य पास है बहुत ही तेरे, भूल नहीं तू जाना
अंगारों के सीने पर, चलकर भी तू मुसकाना।3।

हार मानते नहीं बहादुर, नया लेख लिखते है
लाख बिजलियाँ गिरे धरा पर, भला शिखर झुकते हैं?
आज परखता तुझे विधाता, तू ना आँख चुराना
अंगारों के सीने पर, चलकर भी तू मुसकाना।4।

— शरद सुनेरी