बाल कविता
बच्चे कितने नटखट है
शोर शराबी करते है
इधर उधर वे खूब भटकते
नहीं किसी से डरते है
अपनी बाल मंडली
खेल तमाशा करते है
इनके खेल निराले लगते
जब आपस में मिलते है।
बिजया लक्ष्मी
बच्चे कितने नटखट है
शोर शराबी करते है
इधर उधर वे खूब भटकते
नहीं किसी से डरते है
अपनी बाल मंडली
खेल तमाशा करते है
इनके खेल निराले लगते
जब आपस में मिलते है।
बिजया लक्ष्मी