बदनाम गली की माँ
थक जाती है औरत
पर माँ नहीं मानती हार
चाहे हो बदनाम गली की माँ
अपनी संतान को
सर्वाधिक प्यार करती है माँ
उसकी रक्षक बन
सुरक्षित रखती है माँ अपने आँचल के तले
शान से कहती है – हाँ
नहीं जानती मेरी संतान
अपने पिता का नाम
उसे गर्व है मेरे मातृत्व पर
पर भरना है उसे
दोनों का नाम
है प्रश्नचिह्न समक्ष
उपहास उड़ाता सफेद वर्ग
काली स्याही
भरता शान से
माँ और बदनाम गली का नाम ।
मौलिक एवं प्रकाशनार्थ
— डाॅ. अनीता पंडा अन्वी