कविता

नहीं

स्वस्थ दिखाई दे ,पर अस्वस्थ रहिए नही
अस्वस्थ हो भी, पर कुछ बोलिए नहीं

बोलिये सब कुछ, पर दूसरों पर नहीं
दूसरों को देखिए , पर तुलना करें नहीं

तुलना अच्छी करे, पर प्रयास छोड़े नही
प्रयासों की तारीफ़ करे,पर अपने की चर्चा नहीं

चर्चा करे, पर व्यक्तिगत विषयो पर नहीं
विषय को समझें सुने , पर शब्दो को नहीं

शब्दों को सुने, पर अर्थ निकाले नहीं
अर्थ निकाले पर, विवेचना करे नही

विवेचना करे पर, प्रसंशा की आशा करे नही
आशा करे आदर सत्कार की,पर रहे विश्वास नहीं

विश्वास रखे अपने उपर, अंधविश्वास पर नहीं
अंधविश्वास को छोड़े पर , त्योहारों को नही

त्योहारों को मनाए, पर रीति रिवाज़ो को भूले नही
रीतियों का पालन करे, पर बच्चो को सिखाना भूले नहीं

बच्चों को पसंद नापसंद पर, अंतर बताना टाले नहीं
बताए समय पर खड़े रहना, पर देर से पहुंचना नही

पहुंचिए कुछ करिए, पर किसी के विरुद्ध नहीं

— अनूप कुमार

अनूप कुमार श्रीवास्तव

39 वर्षों की सेवा के बाद इलाहाबाद बैंक से मुख्य प्रबंधक के रूप में अवकाशप्राप्त। लखनऊ में निवास कर रहे हैं। मो.- 8795831256 ईमेल- [email protected]