गुर्दे तथा मूत्र रोगों का प्रमुख कारण
मेरे पास चिकित्सा परामर्श के लिए जो मामले आते हैं, उनमें बड़ी संख्या ऐसे मामलों की होती है, जिनका संबंध गुर्दों और मूत्राशय की बीमारियों से होता है, जैसे गुर्दे या मूत्राशय में पथरी, पेशाब नलीमें रुकावट या सूजन, पेशाब सही न आना, दर्द या संक्रमण होना, मूत्रांग में जलन होना, मूत्र में पस याखून आना आदि-आदि। मेरी जानकारी में ऐसे लोगों को भी ये शिकायतें हुई हैं, जिनका आहार-विहारसात्विक है और जिन्हें कोई व्यसन भी नहीं है।
इन शिकायतों का मुख्य कारण वे तीन ग़लतियाँ हैं, जो हम लोग जाने-अनजाने करते रहते हैं। इनग़लतियों का कुप्रभाव जल्दी नज़र नहीं आता, परंतु होता जरूर है। यहाँ इन ग़लतियों की चर्चा की गयीहै।
पहली ग़लती जो हम लोग करते हैं वह है- पानी कम पीना। लोग प्रायरू पानी पीना भूल जाते हैं औरबहुत प्यास लगने पर ही पानी पीते हैं। कई लोग जानबूझकर पानी इसलिए कम पीते हैं कि उन्हेंबाथरूम न जाना पड़े। यह बहुत बड़ी ग़लती है, जिसका कुपरिणाम उन्हें आगे चलकर भुगतना पड़ताहै।
बाथरूम जाने में शर्माने का कोई कारण नहीं है। हम जितनी बार पानी पीते हैं उतनी बार मूत्र विसर्जनके लिए जाना पड़े तो भी उचित है। इसलिए हमें जाड़ों में प्रतिदिन ढाई लीटर और गर्मियों में तीन लीटरपानी अवश्य पी लेना चाहिए। शीतल पेय, चाय आदि पानी का विकल्प नहीं हैं। इनसे हमारे गुर्दों परबोझ बहुत बढ़ जाता है।
दूसरी ग़लती जो हम लोग करते हैं वह है- मूत्र के वेग को रोकना। यदि आसपास कोई बाथरूम न हो, तो कुछ समय तक इसे रोकने का कारण समझ में आता है, परंतु सामान्य स्थिति में पेशाब रोकने काकोई कारण नहीं है। आयुर्वेद में कहा गया है कि मल, मूत्र, छींक, जँभाई आदि तेरह प्रकार के वेगों कोकभी रोकना नहीं चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। मूत्र के वेग को रोकने परमूत्राशय पर बहुत दबाव पड़ता है और गुर्दों का कार्य भी बाधित होता है। इसलिए ऐसी ग़लती कभीनहीं करनी चाहिए।
तीसरी ग़लती जो अधिकांश लोग करते हैं वह है- मूत्र विसर्जन करते समय ज़ोर लगाना। लोग अपनासमय बचाने के लिए ऐसा करते हैं, परंतु इसके बदले में उन्हें कई गुना समय उन रोगों को देना पड़ता हैजो इसके कारण उत्पन्न हो जाते हैं। पेशाब नली में सूजन आना, जलन होना, पथरी बन जाना, मूत्र मेंपस आना आदि इसी गलती से होता है। इसलिए भूलकर भी मूत्र विसर्जन करते समय ज़ोर मतलगाइए और मूत्र को अपने आप निकलने दीजिए, भले ही इसमें एक मिनट अधिक लग जाये।
यदि आप इन तीनों ग़लतियों से बचे रहेंगे तो गुर्दे और मूत्राशय की ही नहीं, बल्कि और भी बहुत सीबीमारियों से बचे रहेंगे। इतना ही नहीं, यदि ये बीमारियाँ हो गयी हों, तो इन ग़लतियों को सुधारकरउनसे सरलता से छुटकारा भी पा सकते हैं।
— डॉ. विजय कुमार सिंघल