भूलते जा रहे थे हम तो
भूलते जा रहे थे हम तो, कहानी ही अपनी तन्हाई की
ख़्याल उन के आए तो, याद आई दास्तान हमारी जुदाई की
निशान हमारी मन्ज़िल के ही, गुम हो रहे थे हमारे ज़हन से
ठोकर खाई रास्ते के पत्थर से, तो याद आई हमें मन्ज़िल की
रात भर सुलघती रहों यादें, उन की हमारे सीने में
दबी चिनगारियों को जैसे, हवा मिल गैई हो कहीं से
बे सबब ही तो नही आ गैए, आँसू हमारी आँखों में
साथ उदासी के ख़ुशी भी तो, मिली है हमें ज़िन्दगी में
बे यक़ीन अपने आप से हम, ख़ुद ही हो गैए मौसम की तराह
तडपती ही रहीं यादें उन की, साथ मिल कर आहों के सीने में
नई उम्मीदें जाग उठी हैं, फिर से जाने कियूं दिल में जीने की
गुमान कैसे कैसे बसे जा रहे हैं, गहराई में हमारे दिल की
ख़्याल उन के ही आते चले गए, फिर से हमारे ज़हन में
ज़िन्दगी हमारी अब तो बन गैई है, दीवानी ही उन की
मुक़ाम भी नही किया हम ने, ज़िन्दगी में चलने की मजबूरी में
मसरूफ़ इस क़दर हो गैए हम, गर्दिशों में ज़माने की
अना हमारी ही ने बदनाम, कर दिया हमें इस ज़िन्दगी में
ख़बर कोई ही नही रही हम को, हमारे ही अन्जाम की
अना हमारे दिल की फिर भी, आज तक क़ायम है हमारे दिल में
अरूज पर थी जो कभी, ख़बर भी है हम को इसके ज़वाल की
मस्ती भरी निगाहों से कभी, वोह बुलाया करते थे हम को मदन
होश ओ हवास पर हमारे, गिर रही थी एक बिजली सी
बढ़ती चली गैई बे ताबी भी, ज़िन्दगी में हमारे नादान दिल की
पियाम हमारा शामिल है हमारे, दिल की मुहब्बत में उन की