दिल से उतार दिखलाई
आज फिर उसी मोड़ पर मेरी दर्द-ए यादें मुझे ले आई
फिर वही मोड़ जहॉं मैं, दर्द और सिर्फ संग है तंहाई।।
उठा बैठी कलम लिखने हर एक बीता मेरा लम्हा, मैं
यादों के झरोखों मे डूबी जब मैं, मेरी आंख भर आई।।
मोहब्बत पाकर चेहरे पर हर वक्त थी कभी, मेरे लाली
आज उसी मेरे चेहरे पर गम़-ए चादर थी जैसै बिखराई।।
मोतियों की माला के जैसे हर वक्त को पिरोया था मैंने
आज हर एक मोती दर्द मे डूब, टूटा बिखरा मैं थी पाई।।
लौट भी आया अगर वो बीता हर सुनहरा लम्हा मेरा
कबूल ना कर पाऊंगी अब मैं, अपने दिल को बतलाई।।
बेपनाह मोहब्बत भरे दामन से तुझे संवारा था कभी
आज बेपनाह नफरत भर दिल से तुझे उतार दिखलाई।।
वीणा के तारों कि सुरम्य खनक बजती थी तुझे देख
अब वीणा के तारों को तोड़ मैं खुद के लिए जी मुस्काई।।
आज फिर उसी मोड़ पर मेरी दर्द-ए यादें मुझे ले आई
फिर वही मोड़ जहॉं मैं, दर्द और सिर्फ संग है तंहाई।।
— वीना आडवाणी तन्वी