जन-नायक
संकट-ग्रस्त को उबार देगा
अन्यायियों को सुधार देगा
पड़ी जरूरत अगर देश को
हर एक हाथ में कुठार देगा
स्वर बुलंद कर इंक़िलाब का
ललकार देगा ; पुकार देगा
ऑंख दिखाने वालों का तो
धड़ से गरदन उतार देगा
राष्ट्र- विरोधी हरेक ताकतों को
उन्ही के भाषा में दुत्कार देगा
समझा शोषकों को उनकी भाषा
दलित-शोषितों को उभार देगा
गिरा के नफरत की दीवारें सारी
चमन ए वतन को निखार देगा
माॅं भारती के रक्षार्थ ‘सोनकरन’
लहू का एक एक बूंद निसार देगा
— नरेन्द्र सोनकर ‘कुमार सोनकरन’