Author: नरेन्द्र सोनकर

पुस्तक समीक्षा

“ज़िन्दगी अनुबंध है” ग़ज़ल संग्रह की समीक्षा

आमतौर पर ऐसा ही होता आया रहा है कि ग़ज़लो-शे’रो-शायरी की दुनिया में प्रेम,मोहब्बत,विरह,वेदना वग़ैरह-वग़ैरह को ही हम विषय का

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