राखी- बाल गीत
राखी के कच्चे धागों में,
बंधा हुआ है इतना प्यार,
कर्मवती की राखी पाकर,
हमायूं को हुआ गर्व अपार.
झटपट उसकी रक्षा हेतु,
सेना ले तैयार हुआ,
राखी न जाने जन्म के बंधन,
राखी का सम्मान हुआ.
— लीला तिवानी
राखी के कच्चे धागों में,
बंधा हुआ है इतना प्यार,
कर्मवती की राखी पाकर,
हमायूं को हुआ गर्व अपार.
झटपट उसकी रक्षा हेतु,
सेना ले तैयार हुआ,
राखी न जाने जन्म के बंधन,
राखी का सम्मान हुआ.
— लीला तिवानी
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बहिन जी, कविता के भाव अच्छे हो सकते हैं, परन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से यह गलत है। यह तो सत्य है कि रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी रक्षा करने की प्रार्थना की थी और हुमायूँ ने भी सहायता भेजी थी, परन्तु उसने केवल दिखावे के लिए ही सहायता भेजी थी और जान-बूझकर इतनी देरी की थी कि रानी की रक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ और उनको जौहर करना पड़ा था।
कृपया कविताएँ लिखते समय ऐतिहासिक तथ्यों का ध्यान रखें। झूठी हिन्दू-मुस्लिम एकता का गान करने से कोई लाभ नहीं है।