कविता

जिंदगी एक सीख है

हम लड़ते हैं
अपने आप से
हम लड़ते हैं
अपनों से, औरों से
कभी हार, कभी जीत
अनुभव के बल पर
जिंदगी एक तालीम है
अंतिम सांस तक
एक बोध है, एक अबोध है
कभी कल्पना के आलोक में
कभी यथार्थ के उज़ाले में
कभी निश्चित, कभी अनिश्चित
कभी खुशी, कभी गम
एक यात्रा है जिंदगी,
हम धोखा खाते हैं
अपने आप से
हम धोखा खाते हैं
अपनों से, औरों से
कभी चेत, कभी अचेत
जिंदगी का होता नहीं
कभी अंतिम फ़ैसला
लगता है हमें
कुछ बातें खट्टा, कुछ बातें मीठा
कुछ बातें कडुआ, कुछ बातें कसैला
हमारे कदम होते हैं
कभी धीरे से, कभी तेज से
कभी चुस्त, कभी नीरस
कभी मेल, कभी बेमेल
सीधी रेखा पर किसी का
हर कदम नहीं होता
लड़खड़ाते, लंगड़ाते
सबको पार, सबसे दूर.. दूर
जिंदगी एक सीख है।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।