कविता

मौन संवाद…. 

मौन से तेरी 

हो रही थी बातें, 

जैसे शुष्क हृदय में 

जज्ब हों बरसातें|

भीग गई बारिश में 

कुंतल तेरे काले, 

छूने लगे आनन को 

केश तेरे घुंघराले| 

ढक दिया हो बादलों 

ने जैसे कि मेरा चांद, 

हटाने चला घन 

छाया था उन्माद|

भाता हृदय को मेरे 

करना मौन से संवाद,

ना कोई किट पीट 

ना हो वाद विवाद|

नजर पड़ी ज्यौं तुझ पर 

तू जा रही सड़क पर,

वही कुंतल  तेरे काले 

छूते आनन केश घुंघराले| 

वो जो था, था वो संवाद 

अब जो है वह है यथार्थ,

काश कि कर लेता 

कुछ देर और मौन संवाद,

शायद वह भी हो जाते पूरे 

हो जाता मैं आबाद|

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]