कविता

दीवाली

आयी मंगल दीप दीवाली

छाई घर-घर रौनक निराली 

साथी ! दिया जलाओ स्नेह भरा 

ताकि स्वर्ग बन जाये अपनी धरा 

मिलजुल कर मिटा दो अंधेरा 

साथी ! खुशियों का ला दो सवेरा 

अन्न -धन से भर जाए हर आंगन 

सब जन मिल करो ऐसा जतन 

मन से ईर्ष्या- जलन मिटा दो 

अंतर्मन में ज्ञान के दीप जला दो 

लाख तूफान राहों में आयेंगे 

परंतु ज्ञान के दीप न बुझ पायेंगे 

अमावस निशा भी चली जायेगी 

पूर्णिमा वाली उजली रात आयेगी 

तुम सहर्ष स्वीकार करो हर चुनौती 

भोर की पहली किरण यही बताती 

हर घर हो जाये सुखी- समृद्धिशाली 

तो निश्चित ही होगी हर रोज दीवाली

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111