स्वछंद वातावरण ही वन्य जीवों के लिए श्रेष्ठ है
प्रश्न ये है कि चिड़ियाघर जानवरों के हित में ज्यादा है या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ?एक जानकारी के मुताबिक चिड़ियाघर लुप्तप्राय प्रजातियों के मददगार होते है | लेकिन कई स्थानों पर चिड़ियाघरों में जानवरों को रखने के नुकसान में यह तथ्य शामिल है कि जानवरों को अप्राकृतिक परिस्थितियों में रखा जाता है, और कुछ चिड़ियाघर आगंतुक जानवरों के साथ बातचीत करने में अपमानजनक या क्रूर भी महसूस कर सकते हैं।उनके परिसरों के अंदर कैद किए गए अधिकांश जानवर उदास हैं। वे निरंतर कैद में रहते हैं और उन सभी चीजों तक उनकी पहुंच नहीं है जो जीवन को दिलचस्प और आनंददायक बनाती हैं। और, अक्सर, वे प्रकृति में रहने की तुलना में बहुत पहले मर जाते हैं। चिड़ियाघरों में स्वाभाविक रूप से जगह की कमी होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाड़ा कितना बड़ा है, वह हमेशा जानवर के प्राकृतिक आवास से छोटा ही रहेगा। इससे कुछ जानवरों में बोरियत और मानसिक बीमारी हो सकती है, जिससे बार-बार खुद को नुकसान हो सकता है, जैसे आगे-पीछे घूमना या बार-बाइट करना।चिड़ियाघर की तुलना में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी वो स्थान होते हैं जो विशेषकर वन्यजीवों के लिए आरक्षित होते है, ये संरक्षित क्षेत्र जंगली जानवर, विशेष रूप से वो जिनके ऊपर विलुप्त होने का खतरा है, के संरक्षण से सम्बंधित होते हैं ताकि वो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपनी आबादी को बनाए रखते है । इन क्षेत्रों में जानवरों का शिकार, और उनको मारना वर्जित होता है।दूसरा पक्ष देखे तो शहर में मनोरंजन के हिसाब से चिड़ियाघर का महत्व बहुत है, चिड़ियाघर बच्चों को अपनी तरफ खींचने का काम करता है। इसमें बच्चों और बड़ों के लिए जीव-जंतुओं के आहार-विहार, उनके स्वभाव तथा उनकी विशेषताओं को जानने का मौका मिलता है।
— संजय वर्मा “दृष्टि”