विवाह या लिव-इन-रिलेशनशिप, कौन सा बेहतर?
विवाह ही बेहतर है ,इससे सामाजिक रिश्ते मजबूत बनते है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विवाह करने हेतु वर -वधु ढूढ़ने में दिक़्क़तों का सामना नहीं करना पड़ता है।साथ ही वर वधु पक्ष में कोई बात यदि बिगड़ती है तो समाज के गठन पर पद हासिल किये वो और रिश्ते दार उनकी गुथ्थी सुलझाने में अपनी अहम भूमिका अदा करते है । विवाह में संस्कृति लोक गीत ,नृत्य ,परम्परागत आदि को विलुप्त होने से बचाते है इसके रहने से विवाह में एक खुशनुमा वातावरण निर्मित होता है । बढ़ती महंगाई में सामूहिक विवाह बेहतर विकल्प है क्योकि विवाह में जितने भी रूपये खर्च करे तो भी कम ही होते है। विवाह में दहेजप्रथा का उन्न्मूलन,उत्पीड़न आदि पर रोक लगाई जाए तो विवाह की राह जिंदगीभर आसान होती है । विवाह में सभी रिश्तेदार एक जगह इक्कठ्ठे होने का संयोग प्राप्त होता है ,जिसमे वो आपस में सुख दुःख की। रिश्तों की डोर आगे बढ़ाने की चर्चा करते है । फिल्में भी विवाह पर बनती है जिन्हें हम सब सपरिवार देखते आये और पसंद करते आये है अतः कुल मिलाकर मेरे विचार से विवाह ही बेहतर है|
— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’