सामाजिक

विवाह या लिव-इन-रिलेशनशिप, कौन सा बेहतर?

विवाह ही बेहतर है ,इससे सामाजिक रिश्ते मजबूत बनते है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विवाह करने हेतु वर -वधु ढूढ़ने में दिक़्क़तों का सामना नहीं करना पड़ता है।साथ ही वर वधु पक्ष में कोई बात यदि बिगड़ती है तो समाज के गठन पर पद हासिल किये वो और रिश्ते दार उनकी गुथ्थी सुलझाने में अपनी अहम भूमिका अदा करते है । विवाह में संस्कृति लोक गीत ,नृत्य ,परम्परागत आदि को विलुप्त होने से बचाते है इसके रहने से विवाह में एक खुशनुमा वातावरण निर्मित होता है । बढ़ती महंगाई में सामूहिक विवाह बेहतर विकल्प है क्योकि विवाह में जितने भी रूपये खर्च करे तो भी कम ही होते है। विवाह में दहेजप्रथा का उन्न्मूलन,उत्पीड़न आदि पर रोक लगाई जाए तो विवाह की राह जिंदगीभर आसान होती है । विवाह में सभी रिश्तेदार एक जगह इक्कठ्ठे होने का संयोग प्राप्त होता है ,जिसमे वो आपस में सुख दुःख की। रिश्तों की डोर आगे बढ़ाने की चर्चा करते है । फिल्में भी विवाह पर बनती है जिन्हें हम सब सपरिवार देखते आये और पसंद करते आये है अतः कुल मिलाकर मेरे विचार से विवाह ही बेहतर है|

— संजय वर्मा ‘दॄष्टि’

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच