कविता

यमराज और रावण दहन

आजकल यमराज से मेरा याराना हो गया समय काटने और मुस्कराने का बहाना मिल गया अच्छा भला रावण का दहन देखनेबच्चों को लेकर गया थायमराज का भी जैसे भाग्य खुल गयावो बिना किसी संकोच अपने छोटे कद के बहाने आ कर अधिकार से मेरे कंधे पर बैठ गया,मैं बड़बड़ाया, अरे बेवकूफ!बच्चों को तो ख्याल कर।वो बड़ी मासूमियत से बोलाप्रभु चिंता मत कीजिएइसकी गारंटी मैं लेता हूँ बच्चे जब जान पाएँगे तब डरेंगे नविश्वास कीजिए वो जान ही नहीं पाएँगेवो भी रावण को जलता देख बहुत मुस्करायेंगेबस! आप मुझे राम के पास जाने की अनुमति दे दोऔर फिर आप भी रावण दहन का यादगार आनंद लोमैं धीरे से फुसफुसायातू मुझे मरवाएगा, भीड़ से पिटवाएगामुझे राम विरोधी बनाएगा।यमराज ने हंसते हुए कहाक्या प्रभु! अब आप भी मुझे रुलाएँगे?आप नहीं चाहते तो हम अभी लौट जाएँगेफिर सोच लीजिए, आप ही पछताएँगे।मैंने यमराज को शांति से जाने की इज़ाजत दे दीवह कूद कर राम बने कलाकार के कंधे पर जा बैठाऔर उनके कान में फुसफुसायाभगवन! आप कष्ट न करेंतीर-कमान में और धनुष कंधे पर रखेंआँख बंदकर सिर्फ़ बुदबुदायेंरावण, कुंभकर्ण, मेघनाद जल जाएँगेबेवज़ह आप कष्ट क्यों उठाएँगे।राम जी तो शांत रहेआदत के अनुसार लक्ष्मण जी भड़क गएलगता है रावण का मायावी दूत है तूभैया को गुमराह करता है।इतना सुन यमराज को भी ताव आ गयाउतरकर लक्ष्मण के कंधे पर सवार हो गयाऔर बड़े गर्व से बोला रामजी के भ्राता तैस में न आओआज वो होगा जो आज तक नहीं हुआ हैबिना लड़े तो असली रावण भी नहीं मरा था।पर तबका समय और थाआज का समय बदल गया हैसब कुछ आधुनिक हो गया हैफिर रावण दहन क्यों पुराने ढर्रे पर चल रहा है।समय के साथ चलना सीखोऔर अपने भ्राता राम जी को देखोवे कितने समझदार हैंसीधी सी बात आसानी से समझ गए,मेरी बात मान आँखें बंद कर बुदबुदाने लग गए ।ज़रा रावण के पुतले को गौर से देखोजलन के भाव उसके चेहरे पर आ गए और फिर रावण कुंभकर्ण मेघनाद के पुतलेधू-धूकर जलने लगे।लक्ष्मण जी यह देखकर चौंक गएयमराज से कुछ कहतेतब तक यमराज फिर मेरे कंधे पर आ गयाऔर मुझसे कहने लगाप्रभु सुन लीजिए लोग कैसे शोर कर रहे हैंउनके लिए तो सचमुच के राम जी आ गएऔर चुपचाप रावण दहन कर निकल गए,राम बने कलाकार देखते रह गए।पर लोगों को इससे क्या?कि कौन से राम जी रावण वध कर गए,वे सब तो इसलिए खुश हैंकि उनके आज के रावण बड़ी आसानी से जल गए।अब आप और भी देख लीजिए इस भीड़ में जाने कितने रावणआज भी राम भक्त का आवरण ओढ़जय श्री राम जय श्री राम कर रहे हैंशायद वे समझ रहे हैं किवे राम जी गुमराह करने में सफल रहे हैंपर वे मूर्ख अज्ञानी क्या जानें कि प्रभु राम जी सब जानते हैंपर वे धर्म का पुल बना रहे हैंमर्यादाओं का पालन कर रहे हैं,धरती के हर रावण वध का समुचित प्रबंध कर रहे हैं।अब आप मेले का आनंद बच्चों संग लीजिएऔर राम जी की इच्छा से मुझे विदा कीजिए।मैं जल्दी ही फिर मिलूँगातब आपके साथ आपके घर में बैठकरचाय के साथ नाश्ता भी करूँगा।यमराज चला गया, मुझे यकीन हो गयाक्योंकि मेरा कंधा हल्का हो गयापर बेवकूफ़ कई सवाल के साथफिर आने का बहाना छोड़ गयापर सच ही तो बोल गया।

आजकल यमराज से मेरा याराना हो गया 

समय काटने और मुस्कराने का बहाना मिल गया 

अच्छा भला रावण का दहन देखने

बच्चों को लेकर गया था

यमराज का भी जैसे भाग्य खुल गया

वो बिना किसी संकोच अपने छोटे कद के बहाने 

आ कर अधिकार से मेरे कंधे पर बैठ गया,

मैं बड़बड़ाया, अरे बेवकूफ!

बच्चों को तो ख्याल कर।

वो बड़ी मासूमियत से बोला

प्रभु चिंता मत कीजिए

इसकी गारंटी मैं लेता हूँ 

बच्चे जब जान पाएँगे तब डरेंगे न

विश्वास कीजिए वो जान ही नहीं पाएँगे

वो भी रावण को जलता देख बहुत मुस्करायेंगे

बस! आप मुझे राम के पास जाने की अनुमति दे दो

और फिर आप भी रावण दहन का यादगार आनंद लो

मैं धीरे से फुसफुसाया

तू मुझे मरवाएगा, भीड़ से पिटवाएगा

मुझे राम विरोधी बनाएगा।

यमराज ने हंसते हुए कहा

क्या प्रभु! अब आप भी मुझे रुलाएँगे?

आप नहीं चाहते तो हम अभी लौट जाएँगे

फिर सोच लीजिए, आप ही पछताएँगे।

मैंने यमराज को शांति से जाने की इज़ाजत दे दी

वह कूद कर राम बने कलाकार के कंधे पर जा बैठा

और उनके कान में फुसफुसाया

भगवन! आप कष्ट न करें

तीर-कमान में और धनुष कंधे पर रखें

आँख बंदकर सिर्फ़ बुदबुदायें

रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद जल जाएँगे

बेवज़ह आप कष्ट क्यों उठाएँगे।

राम जी तो शांत रहे

आदत के अनुसार लक्ष्मण जी भड़क गए

लगता है रावण का मायावी दूत है तू

भैया को गुमराह करता है।

इतना सुन यमराज को भी ताव आ गया

उतरकर लक्ष्मण के कंधे पर सवार हो गया

और बड़े गर्व से बोला 

रामजी के भ्राता तैस में न आओ

आज वो होगा जो आज तक नहीं हुआ है

बिना लड़े तो असली रावण भी नहीं मरा था।

पर तबका समय और था

आज का समय बदल गया है

सब कुछ आधुनिक हो गया है

फिर रावण दहन क्यों पुराने ढर्रे पर चल रहा है।

समय के साथ चलना सीखो

और अपने भ्राता राम जी को देखो

वे कितने समझदार हैं

सीधी सी बात आसानी से समझ गए,

मेरी बात मान आँखें बंद कर बुदबुदाने लग गए ।

ज़रा रावण के पुतले को गौर से देखो

जलन के भाव उसके चेहरे पर आ गए 

और फिर रावण कुंभकर्ण मेघनाद के पुतले

धू-धूकर जलने लगे।

लक्ष्मण जी यह देखकर चौंक गए

यमराज से कुछ कहते

तब तक यमराज फिर मेरे कंधे पर आ गया

और मुझसे कहने लगा

प्रभु सुन लीजिए लोग कैसे शोर कर रहे हैं

उनके लिए तो सचमुच के राम जी आ गए

और चुपचाप रावण दहन कर निकल गए,

राम बने कलाकार देखते रह गए।

पर लोगों को इससे क्या?

कि कौन से राम जी रावण वध कर गए,

वे सब तो इसलिए खुश हैं

कि उनके आज के रावण बड़ी आसानी से जल गए।

अब आप और भी देख लीजिए 

इस भीड़ में जाने कितने रावण

आज भी राम भक्त का आवरण ओढ़

जय श्री राम जय श्री राम कर रहे हैं

शायद वे समझ रहे हैं कि

वे राम जी गुमराह करने में सफल रहे हैं

पर वे मूर्ख अज्ञानी क्या जानें 

कि प्रभु राम जी सब जानते हैं

पर वे धर्म का पुल बना रहे हैं

मर्यादाओं का पालन कर रहे हैं,

धरती के हर रावण वध का 

समुचित प्रबंध कर रहे हैं।

अब आप मेले का आनंद बच्चों संग लीजिए

और राम जी की इच्छा से मुझे विदा कीजिए।

मैं जल्दी ही फिर मिलूँगा

तब आपके साथ आपके घर में बैठकर

चाय के साथ नाश्ता भी करूँगा।

यमराज चला गया, मुझे यकीन हो गया

क्योंकि मेरा कंधा हल्का हो गया

पर बेवकूफ़ कई सवाल के साथ

फिर आने का बहाना छोड़ गया

पर सच ही तो बोल गया। 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921