कविता

बड़ा रोग

कोई लाभ नहीं है
आपसे बात चीत करने
समय बर्बाद करने का
बेवकूफ बनाने का।
होगा तो वहीं जो आपने
गांठ में बाँध रखा,
कसम खा कर पहले से ही
जब सब कुछ तय कर रखा है,
आप खुद को ही सबसे बड़ा
बुद्धिमान समझ रहे हैं।
पर अब मुझे भी तो जान लीजिए
मैं भी बहुत जिद्दी हूँ
आप कुछ भी कर लो
कुछ भी सोच लो
पर मैंने भी कसम खा रखा है
आपके हथकंडों से ही
आपको मात देना मुझे आता है,
आप जैसों को औकात दिखाना
मुझे बहुत अच्छे से आता है,
क्योंकि भ्रष्टाचार और भ्रष्टों से
अपना कोई रिश्ता मुझे नहीं भाता है
बस! सत्य से अपना गहरा नाता है,
बेईमानों को आइना दिखाने की लत है मुझे।
नकली मुखौटे उतारते रहने का
बड़ा रोग लग गया है मुझे,
आप जैसे नकली ईमानदारों को
नंगा करने का नासूर हो गया है मुझे।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921