लघुकथा

शुक्र है भगवान का


“अरे! वर्मा जी, कहाँ जा रहे है? कहीं घूमने जा रहे हैं क्या?”
“हाँ, ऐसा ही समझ लीजिए, भाई साहब!”
“मतलब आप जा तो रहे हैं लेकिन घूमने नहीं। किसी विशेष प्रयोजन से कहीं जा रहे हैं।”
“हाँ, मैं अहमदाबाद जा रहा हूँ। कल बड़े बेटे का फोन आया था और कह रहा था कि माँ बीमार है।”
“मतलब, आपकी मिसेज अहमदाबाद में रहती हैं?”
“जी, सैनी जी! मैं यहाँ छोटे बेटे के पास रहता हूँ और श्रीमती जी बड़े बेटे के पास अहमदाबाद में रहती हैं। वह क्या है कि दोनों के घर छोटे हैं न। दोनों के वहाँ माँ-बाप को एक साथ रखने की जगह नहीं है।”
“क्या जमाना आ गया है? माँ-बाप को रखने में भी बच्चे हिसाब लगाते हैं। माँ-बाप तो बच्चों का पालन-पोषण करने में कभी हिसाब नहीं लगाते।जगह की भी कोई समस्या नहीं होती।”
“आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। पर क्या करें? बची हुई ज़िंदगी इन्हीं लोगों के सहारे काटनी है।”
“भाई साहब! मैं शुक्रगुज़ार हूँ ईश्वर का कि एक ही बेटा है,इसलिए मियाँ -बीवी दोनों एक साथ ही रहते हैं। दो होते तो शायद आपकी…….।”
डाॅ बिपिन पाण्डेय

डॉ. बिपिन पाण्डेय

जन्म तिथि: 31/08/1967 पिता का नाम: जगन्नाथ प्रसाद पाण्डेय माता का नाम: कृष्णादेवी पाण्डेय शिक्षा: एम ए, एल टी, पी-एच डी ( हिंदी) स्थाई पता : ग्राम - रघुनाथपुर ( ऐनी) पो - ब्रह्मावली ( औरंगाबाद) जनपद- सीतापुर ( उ प्र ) 261403 रचनाएँ (संपादित): दोहा संगम (दोहा संकलन), तुहिन कण (दोहा संकलन), समकालीन कुंडलिया (कुंडलिया संकलन), इक्कीसवीं सदी की कुंडलियाँ (कुंडलिया संकलन) मौलिक- स्वांतः सुखाय (दोहा संग्रह), शब्दों का अनुनाद (कुंडलिया संग्रह), अनुबंधों की नाव (गीतिका संग्रह), अंतस् में रस घोले ( कहमुकरी संग्रह), बेनी प्रवीन:जीवन और काव्य (शोध ग्रंथ), मंथन का निष्कर्ष ( कुंडलिया संग्रह) साझा संकलन- कुंडलिनी लोक, करो रक्त का दान, दोहों के सौ रंग,भाग-2, समकालीन मुकरियाँ ,ओ पिता!, हलधर के हालात, उर्वी, विवेकामृत-2023,उंगली कंधा बाजू गोदी, आधुनिक मुकरियाँ, राघव शतक, हिंदी ग़ज़ल के साक्षी, समकालीन कुंडलिया शतक, समकालीन दोहा शतक और अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। पुरस्कार: दोहा शिरोमणि सम्मान, मुक्तक शिरोमणि सम्मान, कुंडलिनी रत्न सम्मान, काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान, साहित्यदीप वाचस्पति सम्मान, लघुकथा रत्न सम्मान, आचार्य वामन सम्मान चलभाष : 9412956529