भजन/भावगीत

ईश्वर दो ऐसा वरदान 

जगमगाता दीप मैं बन सकूं, 

हर हृदय में स्नेह मैं भर सकूं ।

प्रीति की रोशनी हर किसी को दे सकूं ।।

ईश्वर दो ऐसा वरदान…

जग से सारा तम मैं मिटा सकूं,

तेज आंधियों से मैं लड़ सकूं ।

डूबते को किनारे तक पहुंचा सकूं ।।

ईश्वर दो ऐसा वरदान…

जगहित गरल मैं पी सकूं,

दुनिया को अमृत मैं दे सकूं ।

दुःखी हृदय में मैं उल्लास भर सकूं ।।

ईश्वर दो ऐसा वरदान…

राष्ट्रहित हंसते-हंसते प्राण मैं तज सकूं ,

दुश्मन से अंतिम सांस तक मैं लड़ सकूं।

भारत भू का सम्बल बन सकूं ।। 

ईश्वर दो ऐसा वरदान…

— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111