ग़ज़ल
हार जाने की मत अदा रखिए।
जीत का हर घड़ी नशा रखिए।
जीतना चाहते इलेक्शन गर,
हर समय साथ काफ़िला रखिए।
दूर घर से अगर ठिकाना है,
ख़ुद को परिवार से जुड़ा रखिए।
अज़्म कोई अगर लिया है तो,
फिर कसर कोई मत उठा रखिए।
देखिए हर समय बड़ा सपना,
तंग हरगिज़ न दायरा रखिए।
— हमीद कानपुरी