कविता
रिश्ते नाते प्यार मोहब्बत
सब ऑनलाइन मिलता है
सूने हैं घर आँगन सभी के
अतिथि की राह तकता है
बचा क्या है अब बाकी
अब इस नीरस दुनिया में
बेटा भी माँ-बाप से अब
ऑनलाइन ही मिलता है
दूर नहीं वो दिन भी यारो
सब कुछ तय हो जाना है
जिंदगी और मौत भी सब
ऑनलाइन ही हो जाना है
— वर्षा वार्ष्णेय