कविता

नया साल

स्वागत है इस नए वर्ष का,
मिलकर दीप जलाना हैं।
जीवन की हर कठिनाई को,
हंसकर पार लगाना हैं।

आगे आगे कदम बढ़ाकर ,
सपने सच कर जाना हैं।
ऊंच नीच के भेद भाव के,
अंतर को ही मिटाना हैं।

जैसे सूरज चंदा चलते,
मुझको चलते जाना हैं।
भूखे प्यासे दिन दुखी को,
बढ़कर गले लगाना हैं।

स्वागत हैं इस नए वर्ष का,
हर आंगन महकाना हैं।
वीर सपूतों की धरती पर ,
नया इतिहास बनाना हैं।

— आसिया फारूकी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र