बाल कविता

मन हो साफ़ जीवन सुंदर

मन मचले तो वश में करना,
मन को सच्चा सुंदर रखना।
नया कोई संकल्प बनाकर,
हर दिन ही कुछ बेहतर करना।
दिशा हीन जीवान मत जीना,
चलते जाना मंजिल पाना ।
गिर जाओ तो उठ कर चलना,
उच्च सोच से जीवन भरना।
कर अपनी क्षमता पहचान,
बढ़ना प्रभु का लेकर नाम ।
सद्गुण मन में विकसित करना,
औरों पर निर्भर मत रहना।
अभी नहीं तो कभी नहीं,
रुक जाएं हम सही नहीं।
घना अंधेरा चीर के रख दो,
चूक कहां है उसको देखो ।
रंग बदलती इस दुनियां में,
राह सही जो उसपर चलना।
यश पाना सम्मान कमाना ,
पग पग आगे बढ़ते जाना।

— आसिया फारूकी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र