कविता

अतीत की स्मृतियों से

अतीत की स्मृतियों से होकर आज जब हम झांकते हैं अपने बीते हुए कल में तब हम पाते हैं कुछ खट्टे अनुभवों, के साथचलचित्र की भांति बीते जीवन के उन पलों कोजिन्हें हम याद कर रोमांचित, उत्साहितऔर अत्यधिक प्रसन्न होते हैं,तो कुछ को हम भूलकर भी कभी सपने में भी याद तक नहीं करना चाहते हैं,क्योंकि उसे याद कर हम आज भी कांप उठते हैं।वास्तव में यही तो वास्तविक जीवन हैचाहे जितनी कोशिश कर लें,हम आप इससे भागकर बच भी नहीं सकते हैं।अपने आपको ताकत देने के लिएऔर हौसलों का नया उदाहरण बनने के लिएहमें जब तब अतीत की स्मृतियों से हीबीते हुए कल में झांकना ही पड़ता है,क्योंकि हमें जीना जो होता हैइसलिए अपने कल की जीवन यात्रा के अतीत सेबहुत कुछ सीखना ही पड़ता हैअतीत की स्मृतियों से जुड़ना और जूझना ही पड़ता है।

*सुधीर श्रीवास्तव

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