मुक्तक/दोहा

धर्मनिरपेक्ष

राम मन्दिर बन गया तो जल गये, 

धर्मनिरपेक्षता पर चाल चल गये। 

कहते हैं जाओ मस्जिद बच्चों संग, 

हिन्दुत्व की बात, फफोले पड़ गये। 

कभी कहते पढ़ाई छोड़ मस्जिद हिफ़ाज़त करो, 

धर्मनिरपेक्ष देश में, मुस्लिम हित वकालत करो। 

धर्मनिरपेक्षता मतलब, मुस्लिम हितों को साधना, 

बैरिस्टर बताते खुद को, बातों से जहालत करो। 

 तोड़कर मन्दिर जिसने बनाई मस्जिदें, 

लानत मलानत दो शब्द पापी को कहो, 

सनातन के स्वाभिमान पर चोट कर रहे, 

जाहिलों को क़ानून की परिभाषा में कहो। 

बस अभी तो आँख खोली, डर गये, 

क़ानून से राम मन्दिर बना, डर गये। 

इतिहास में हज़ारों मन्दिर अभी बाक़ी, 

कृष्ण जन्म स्थान की चर्चा, डर गये। 

सोया हुआ हिन्द, करवट ले रहा है, 

आततायियों को जवाब दे रहा है। 

वक्त की नज़ाकत धड़कनें जान लें, 

ईंट का जवाब पत्थर से दे रहा है। 

भगवा का परचम विश्व में फहरा रहा, 

चीन पाक हमारी ताकत आज़मा रहा। 

धरा से सूर्य चन्द्र गगन, भगवा फहरा, 

विश्व गुरू की गौरव गाथा जग गा रहा। 

— डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन