राष्ट्र के विकास पर
राष्ट्र के विकास पर, जो प्रहार कर रहे,
धर्म से विकास पर, अवरोध खड़े कर रहे।
संकुचित नज़रिया, तुष्टिकरण पोषक हैं,
राम के काज बाधक, दुष्टता जो कर रहे।
राम भरोसे देश चलता, कालनेमि मर रहे,
राम का नाम सुन ही, राक्षस दल डर रहे।
अयोध्या प्रतीक धरा पर, साक्षात स्वर्ग की,
देखकर वैभव यहाँ, राक्षस विलाप कर रहे।
एक दिन अवकाश से, कहते जीडीपी हिल गयी,
अयोध्या के विकास से, कहते जीडीपी हिल गयी।
रोज़ रोज़ हड़ताल कर, जो विकास गति रोकते थे,
धर्म की बात चली तो, कहते जीडीपी हिल गयी।
भारत का मान जिसनें, विश्व को बता दिया,
भारत की सामर्थ्य क्या, जग को जता दिया।
भारत की अर्थव्यवस्था, सदैव से बेहतर बनी,
विश्व गुरू भारत ही है, जगत को पता दिया।
— डॉ अ. कीर्ति वर्द्धन