कविता
क्यों खो गया प्यार जहाँ से,
क्यों नफरत का ढेर है !
जिसे देखो वही निकालता,
एक दूसरे की रेलमपेल है!
नेट पर कहते प्यार है बहुत,
दुनिया में क्यों मुठभेड़ है!
भाई हो रहा खून का प्यासा,
कैसी जिंदगी की जेल है!
कोई दे रहा जान देश की खातिर,
किसी के लिए देश ही एक अच्छी सेल है!
कही रो रहे बच्चे बिछुड़कर बाप से:
तो कहीं हो रही उन पर राजनीती की बखेर है!
आया ये कैसा जमाना वर्षा
जहाँ खो गयी जिंदगी सभी की!
आज न जरूरत रही अपनों की,
बस जिंदगी बन गयी सिर्फ एक रेल है!!
— वर्षा वार्ष्णेय