क्या क्या फर्क पड़ेगा सीएए के लागू होने से?
सीएए मतलब नागरिक संशोधन अधिनियम, इस नागरिकता संशोधन अधिनियम को दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बावजूद भी अभी तक भारतवर्ष में लागू नहीं किया जा सका था, इस कारण यह चर्चा का विषय बना हुआ है। यह कानून शुरुआत से ही विवादों के घेरे में रहा है। आईए जानते हैं इसके विवादों में रहने की वजह आखिरकार क्या है जिसके कारण आज तक यह हमारे देश में लागू नहीं हो पाया था और अब जब इसके लागू हो जाने की अधिसूचना जारी हो ही गई, आखिरकार तो आखिर किन-किन बातों का डर है जो कि आम जनमानस के दिमाग में घर कर रहा है। पहले भारतवर्ष की नागरिकता हासिल करना बहुत मुश्किल काम था लेकिन इस अधिनियम के लागू हो जाने से भारत के तीन पड़ोसी देश को भारत की नागरिकता प्राप्त करने में आसानी होगी। केंद्र सरकार का कहना है कि हमारे तीन पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, पारसी और हिंदू लोग जो कि वहां पर प्रताड़ित हो रहे हैं उनके लिए हम शरण देने के लिए वचनबद्ध हैं। इस अधिनियम के तहत मुस्लिम लोगों को इसलिए भी नहीं लिया गया है क्योंकि यह तीनों देश बहुमुस्लिम समुदाय से संबंध रखते हैं।
भारत देश में इस कानून को लेकर काफी प्रदर्शन और बवाल हो चुके हैं लेकिन एक बात इस कानून के लागू होने से तय है कि भारत में रह रहे लोगों के लिए कोई खतरे की घंटी नहीं है क्योंकि यह कानून भारत से बाहर रह रहे लोगों के लिए भारत के नागरिकता से संबंधित कानून है। एक तरफ अगर बात वैश्विक स्तर की की जाए तो पूरे विश्व में इस कानून को लेकर विभिन्न मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय निकायों ने भारत की आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा और मानव अधिकार उल्लंघन होगा। वहीं दूसरी तरफ हमारे देश के कुछ लोगों को इस बात की भी चिंता स्ताई जा रही है कि देश में सत्तारूढ़ पार्टी बहुसंख्यक समुदाय के लोगों के वोट को अपने पक्ष में कर सकती है अर्थात इसको वोटों के ध्रुवीकरण से जोड़कर भी देखा जा रहा है। हमारे देश के संविधान के अनुसार हमारे देश में रह रहे किसी भी धर्म के लोगों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता है और चूंकि इस कानून में मुस्लिम नागरिकता का प्रावधान नहीं है, इसलिए इसको धार्मिक भेदभाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इसको धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन माना जा रहा है। कुछ का कहना है कि इस कानून के लागू होने से अफगानिस्तान , पाकिस्तान तथा बांग्लादेश मैं रह रहे प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता आसानी से मिल जाएगी, क्योंकि वहां की सरकार उनको परेशान कर रही हैं।
भारत देश एक बहुत विशाल देश है और यह दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन चुका है। इस कानून के लागू होने से दूसरे देश के लोग जहां एक और भारत की नागरिकता लेकर इधर पलायन करेंगे तो वही इस देश के संसाधनों पर भी फर्क पड़ेगा, जिसका सीधा सीधा असर भारतीय नागरिकों पर पड़ेगा। अब चूंकि सीएए की अधिसूचना जारी हो गई है तो यहां एक बात तो बिल्कुल साफ है कि हर कोई इस कानून का फायदा नहीं उठा सकता है। यह कानून किसी भी नागरिक को खुद नागरिकता प्रदान नहीं करता है बल्कि जो लोग 31 दिसंबर 2014 तक या इससे पहले से भारत वर्ष में रह रहे हैं और उन प्रताड़ित लोगों की श्रेणी में आ रहे थे जिसका कि इस कानून के तहत जिक्र किया गया है, सिर्फ वही नागरिकता के पात्र होंगे। तीन-चार बातें जो ध्यान देने योग्य हैं वह यह है कि उन प्रताड़ित लोगों को यहां नागरिकता लेने से पहले यह साबित करना पड़ेगा कि वह सच ही में ही वहां पर धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हुए हैं, उनको इस देश में रहते हुए जो समय अवधि हुई है वह भी साबित करनी होगी तथा उनका साथ में यह भी साबित करना पड़ेगा कि जो भारत की आठवीं अनुसूची में भाषण अनुसूचित हैं वह उन भाषाओं को बोलते हैं। इसके साथ-साथ उनका यह भी साबित करना पड़ेगा कि वह भारतीय नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को पूरा करते हैं, इसके बाद ही इस श्रेणी में आने वाले प्रताड़ित प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जा सकती है।
— डॉ- जय महलवाल