कविता

होली

अम्बर पर यौवन चढ़ आया,
अवनि हँसी-मुस्काई।
कहे कूकती कोयल काली,
आई होली आई।
कण कण में मधु-मिश्री जैसी,
महके मीठी बोली।
सज-धजकर ऋतु सुखद सुहानी,
चली मनाने होली॥

अवध हँसे ब्रज रास रचाये,
झूम रही है काशी।
तीनो लोक रँगे रंगों से,
नृत्य करें अविनाशी ॥
खुशियों के रंगों से रँगकर,
जन-मन करे ठिठोली।
ढोल-नगाड़ों सँग इठलाती,
धूम मचाती होली॥

उमड़ी टोली हुरियारों की,
तोड़-ताड़ हर बाधा।
बरसाने में रँग बरसाने,
किशन चले बन राधा।
झूम-झूम कर रति अनंग ने,
भाँग आज फिर घोली।
रंग-रंगीला जीवन करने,
हँसती आती होली॥

होली का उपहार दिया यह,
कितना सुखकर प्यारा।
अभिनंदन ऋतुराज तुम्हारा,
जीत लिया हिय सारा।
राग-रंग में सिक्त भाव ने,
तार हृदय के जोड़े।
अमिट छाप जो छोड़े उससे,
कौन ‘अधर’ मुख मोड़े॥

— शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- [email protected]