रेस का घोड़ा
लघुकथा
रेस का घोड़ा
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“हेलो सर!”
“हलो…।”
“क्या मेरी बात डॉ. शर्मा जी से हो रही है।”
“हाँ जी, बोल रहा हूँ। पर आप…”
“काँग्राचुलेशन्स सर। मै साहित्यिक वेबसाइट ‘ढिंचाक’ से मिस सुधा बोल रही हूँ। सर, आप इस हफ्ते ‘आथर ऑफ द वीक’ के लिए नॉमिनेट किए गए हैं।”
“अच्छा, ये क्या होता है ?”
“सर, हमारी साहित्यिक वेबसाइट की ओर से हर सप्ताह एक राइटर को ‘आथर ऑफ द वीक’ के रूप में चुना जाता है। जिस राइटर को सबसे अधिक लाइक्स और वोट मिलते हैं, उसे आकर्षक ‘ई सर्टिफिकेट’ देकर सम्मानित किया जाता है। सम्मानित राइटर को हमारे पैनल के प्रकाशकों की पुस्तकों की खरीदी करने या उनसे अपनी पुस्तकें प्रकाशित कराने पर 25% का भारी डिस्काउंट मिलता है। मैंने ईमेल के माध्यम से आपको वोटिंग लाइन की लिंक भेज दी है। सो प्लीज, आप अपने परिचितों को अधिक से अधिक संख्या में शेयर करें और उन्हें भी करने को कहें, ताकि आप ‘आथर ऑफ द वीक’ चुने जा सकें।”
“देखिए मैडम जी, मैं एक राइटर हूँ, रेस का घोड़ा नहीं।”
उन्होंने कहा और जवाब की प्रतीक्षा किए बिना फोन काट दिया।
- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़