संविधान क्या हो
संविधान आप हो मेरे लिए
अकूत ताकत का खजाना,
हर कोई चाहता है खुद को
अनुच्छेद रूपी शस्त्रों से सजाना,
हजारों सालों की बेड़ियां तोड़ने वाला,
हमें इंसानियत की जंजीरों से जोड़ने वाला,
मौलिक अधिकार दिलाने वाला,
कर्तव्यों को शालीनता से सुझाने वाला,
बंधुत्व, समता व न्याय बांटने वाला,
पाखंड और अंधविश्वास को काटने वाला,
एक नजर से सबको देखते हो आप,
अब काम नहीं करता पाखंडियों का श्राप,
आपके कारण चमत्कार होना बंद हो गया,
मुफ्त का खाने वाला दंग हो गया,
अमीर और गरीब के लिए प्रावधान एक है,
आपको बनाने वालों के इरादे नेक है,
जाति और धर्म का भेद मिटा डाला,
स्वतंत्रता देकर मजलूमों को जिला डाला,
न्याय करते समय नहीं करते अमीर गरीब,
मौका दिये सबको लिखने अपना नसीब,
मानव मानव में भेद से
इंसानियत का कभी अपमान हुआ,
मगर आपने सब बुराइयां मिटा
वैज्ञानिक दृष्टिकोण को छुआ,
काश आपको ढंग से चलाने वाला मिल जाये,
तो खुशी से हर नागरिक का चेहरा खिल जाये,
तभी होगा प्रजातंत्र का सही सम्मान,
सबको साथ ले चलने वाले हैं आप संविधान।
— राजेन्द्र लाहिरी