लिखना तब सार्थक होगा- सावधान नौनिहालो
बहुत ही हृदय विदारक घटना थी जिसे देख रोंगटे खड़े हो गये और मन में यही विचार आया कि क्या रियल बनाना इतना ज्यादा जरूरी हो गया है कि चाहे उसमें हमारी जान चली जाए बस हमें तो रील बनाना है कैसे भी करके बनाना है यही सोच रख रहे हैं शायद आजकल के नवयुवा देखिए ना कैसी-कैसी रील बना रहे हो और किस जगह बना रहे हैं मौत को अपने हथेलियां में रखकर बच्चे बस रील बनाने में लगे हुए हैं रील बनते-बनते ही ना जाने कितने अंगिनत हादसे उसी कैमरे में कैद हो जाते हैं जिसमें वह कुछ लाइक और कमेंट्स और अपने फॉलोवर्स बढ़ाने के लिए रील बनाते हुए उन्हें कैद करने की कोशिश करते हैं । पर उन्हें क्या पता कि वह जी रील को बनाने के लिए जिन लाइक फॉलोअर्स को बढ़ाने के लिए अपने जान को हथेली में रखकर जिस मोबाइल या कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे हैं । इस कैमरे में रील के साथ-साथ उनकी लाइव मौत रिकॉर्ड हो जाती है । कितना दुर्भाग्य भरा होगा वह क्षण व मंजर जो इस तरह की रील जो अचानक हुए हादसे से कैमरे में रिकार्ड होने पर भी सोशल मीडिया रील बनाने वाले भेज देते हैं ।
दरअसल आज एक रील देखी थी जिसके अंतर्गत तीन बच्चे बच्चे तो नहीं कहूंगी रील बना रहे मतलब बालिग ही हों जो मेट्रो ट्रेन की पठरी पर बैठकर रील बनाने की कोशिश कर रहे थे तभी जिन पटरियों पर वह बैठकर रील बनाना चाह रहे थे वही पटरिया बिजली के तारों के अंतर्गत बिजली के संपर्क में आ गई और उन पटरियों में करंट दौड़ गया वह तीनों के तीनों बच्चे इस पटरी के संपर्क में आ गए । जिसके अंदर ना जाने कितने मेगावाट बिजली दौड़ पड़ी थी और तीनों के तीनों बच्चे रील बनाते-बनाते अपनी ही मौत को लाइव रिकॉर्ड करवा बैठे । यह जो हादससा था यह किसी विदेश का ही लग रहा था यहां तक की स्टेशन पर खड़े हुए लोग भी उनके लाइफ मौत को रिकॉर्ड करने लगे किसी ने भी उन्हें रील बनाते समय नहीं टोका कि वह जो कर रहे हैं बहुत ही गलत है और अपनी जान से खेल रहे हैं जब वह करंट के संपर्क में आए तो फटाफट हर किसी ने अपना मोबाइल निकाला और उसे अपने कैमरे में कैद करने लगे तमाशा बना कर रख दिया है आजकल के नव युवाओं ने जिंदगी को इनको जिंदगी बहुत ही सस्ती लगती है इंसान की जिंदगी थी उसे परमात्मा ने दिया। इसलिए इनको मुफ्त में मिली हुई हर कोई चीज हजम नहीं हो रही है क्यों कुछ लाईक , कॉमेंट्स , फॉलोअर्स बढ़ाने और अपने कमाई का जरिया शुरू करने के लिए बच्चे इस कदर अपनी ही जिंदगी से खेल रहे हैं तनिक भी अपने मां-बाप के ऊपर गुजरने वाले दर्द के बारे में पहले नहीं सोचते हैं की क्या होगा उनका ।
ऐसा ही एक किस्सा हमारे भारत देश का भी है जहां पर एक लड़की चलती ट्रेन के दरवाजे पर खड़े होकर इस तरह स्टंट दिखा रही थी मानो वह किसी भी लड़के से कम नहीं है और वह हर एक लड़के को रील बनाते-बनाते जैसे चुनौती दे रही थी कि दम है तो आ जाओ मेरी तरह तुम भी स्टंट करके दिखाओ परंतु यह क्या रील बनने के चक्कर में दरवाजे से लटकते हुए उसका खुद के पांव से नियंत्रण छूट गया और वह चलती ट्रेन से जाकर नीचे गिर गई न जाने उस तेज गति से चलने वाली ट्रेन से गिरने के बाद उसके साथ क्या हुआ होगा क्या वह बच्ची भी होगी या नहीं बची होगी मन में सवाल तो मेरे भी रह गया है जिस हिसाब से ट्रेन की गति थी तो मुझे नहीं लगता कि वह लड़की बची भी होगी उसकी पैदा होने से लेकर उसके जवान होने तक उसके मां-बाप ने न जाने कितने सपने देखे होंगे न जाने कितने रुपए खर्च करके उसे शिक्षा दी होगी बिल्कुल लड़कों की तरह कि हमारी लड़की किसी से भी कम नहीं है परंतु जरा सा दिखावा उसे उसकी मौत की और ले गया । इसी तरह न जाने कितने अनंत किस्से होंगे जिनके बारे में मैं तो जानती भी नहीं हूॅं।
इसी तरह वारंगल से भी एक वीडियो आया था जहां पर एक लड़का एकदम रेलवे ट्रैक से सटकर रील बनवा रहा था पैदल चलते हुए वो भी रेलवे ट्रैक के इतने नजदीक था । फिर भी रील बनाने वाले ने बिल्कुल भी उसको सतर्क नहीं किया और तभी बहुत ही तेज गति से आ रही उसके पीछे से एक ट्रेन से उसकी टक्कर हो गई तभी वह लड़का उसे टक्कर को सहन न कर सका और पटरी पर जाकर गिर गया और वही मौके पर ही उसकी मौत हो गई । आखिर क्या साबित करना चाहता था वह लड़का कि वह बहुत ही बहादुर है उसे मौत से डर नहीं लगता है परंतु काल से खेलने वाले को कभी भी काल ही पसंद नहीं करते ।
हाल ही में एक खबर के अनुसार इसके अंतर्गत लग्जरी कारों के ऊपर के दरवाजे को खोलकर कारों की काफिले से लड़के बाहर देख रहे थे और बहुत ही तेज गति से कारों को चलते हुए रील बना रहे थे सोशल मीडिया पर यह वीडियो भी बहुत वायरल हो रहा था क्या दिखाना चाहते हैं यह लड़के आखिर कि वह किसी रईस पिता की औलाद है जो अपने पिता की और कमाई पर इतना इतरा रहे हैं जो यह दिखा रहे हैं कि यह सब उनका खुद का अपना कमाया हुआ है नहीं यह सब कमाया हुआ उनके मां-बाप की मेहनत की कमाई का है जो होना तो बाद में आपका ही है परंतु आप उनकी मेहनत की कमाई को इस कदर गलत इस्तेमाल करते हुए अपने व्यक्तित्व को समाज के सामने दर्शा रहे हैं । एक कहावत थी जब तक हम खुद की कमाई से कोई सामान खरीद कर इस्तेमाल नहीं करते हैं तब तक हमें उस सामान की कद्र नहीं होती कीमत भी हमारे लिए पानी के समान शून्य मात्र ही होती है । परंतु जब हम खुद की कमाई से एक रुमाल भी खरीद लेते हैं तो उसकी कीमत हमें लाखों रुपए लगती हैं । ऐसा क्यों ? क्यों की अपने मां-बाप की कमाई को पानी समझकर , उस कमाई को शराब में व रील बनाने में इस्तेमाल में लाया जाए ? याद रखिएगा आप 10 साल मेहनत करेंगे इस सोशल मीडिया के हर एक प्लेटफार्म पर तब जाकर आपकी कमाई चालू होगी इससे अच्छा तो आप स्वयं 10 साल की खपत को जिंदगी में खुद को काबिल बनाने में खर्च करें । कुछ ऐसे कार्य में अपनी मेहनत को लगाए की आपकी एक दो महीने में ही कमाई चालू हो जाए ।
हाल ही में मेरी एक सहेली से बात हुई थी जिन्होंने मुझे यह बताया कि वह वर्ष 2014 से हर एक अपने परिवार की गतिविधियों को सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर डालती थी रील डालते डालते या फोटो डालते डालते 2024 में उसे कमाई आना चालू वह भी मात्र ₹1200 अब आप बताइए जिन 10 सालों को उन्होंने सोशल मीडिया की प्लेटफार्म पर ₹1200 कमाने में खर्च कर दिए वह इन 10 सालों में इन ₹1500 को 15 करोड़ भी बना सकती थी या चलिए 15 लाख ही बना सकती थी । आप में मेहनत करने का हुनर है । आप सभी अपने हुनर को सही जगह इस्तेमाल करें ना की 10 साल 5 साल लाइक फॉलोअर्स बढ़ाने के चक्कर में अपने 5 सालों को बर्बाद कर दें अभी संभलने का मौका है संभल जाइए मां-बाप के जज्बात से नहीं खेलें । अरे भाई इन जानलेवा रील के चक्कर में अपने मां-बाप के अरमानों को उनकी मेहनत की कमाई को पानी की तरह नहीं बहाएं । एक बार सोच कर देखिएगा क्या मैं गलत कह रही हूं शायद आपको भी यही लगेगा कि नहीं मैं गलत नहीं कह रही हूं । कहते हैं बच्चों को को यदि उनके मॉं-बाप खुद समझाते तो वह नहीं समझ पाते हैं वह बुरा मान जाते हैं और यही सोचते हैं कि उनके मां-बाप उन पर बंदिशें लगा रहे हैं । परंतु वही बात जो मां-बाप समझाना चाहते हैं अगर कोई बाहर वाला समझा दे तो बच्चों पर उसका असर जल्दी होता है और वह जल्दी समझ जाते हैं । यह सिर्फ दूसरों के मां-बाप के साथ नहीं मेरे साथ भी होता है मैं भी एक मां हूं जब मेरा बच्चा मेरी बात को नहीं समझ पाता है तो मैं उसकी कक्षा अध्यापिका से बात करके कहती हूॅं , कि आप उसे समझाइए और मेरा बेटा अपनी कक्षा अध्यापिका के सम्मान में उनकी हर बात को मानकर मेरा मान बढ़ा देता है । इसलिए मेरा यह संदेश एक बाहर वाला सदस्य समझ कर , कोई भी बच्चा वक्त पर संभल जाए और रील बनाना छोड़ अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाने का जज़्बा अपना लें तो मुझ छोटी सी लेखिका का लिखना सार्थक हो जाएगा मेरी कलम की यही कोशिश की किसी की औलाद के साथ कोई हादसा ना हो ।
— वीना आडवाणी तन्वी