गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

बो दिया खेत है फ़सल जब हो
हो गया इश्क़ है ग़ज़ल जब हो

दे रहा इम्तहां मुहब्बत का
धन्य है ज़िंदगी सफल जब हो

हर मुसाफ़िर करे उसे हासिल
प्रेम-मंज़िल मगर सहल जब हो

यार का प्यार ही असल सुख है
प्यार भी यार का असल जब हो

बात ही बात है वगरना फिर
बात है बात पर अमल जब हो

शान्त होता नहीं कभी जल्दी
कर तुझे याद दिल विकल जब हो

इक जगह हो जहान में दिल की
दाइमी सोच में बदल जब हो
— केशव शरण 

केशव शरण

वाराणसी 9415295137