जय माँ महागौरी
महामाया,गौरवर्ण लिए मुख पर कांति महागौरी
शीतल मन सकल हैं, शांति अष्टम रुप महागौरी ।
चतुर्भुजा,वृषभ सवारी आलौकिक सिद्धि शक्ति
श्रीफल का नैवेद्य प्रिय देती सुफल माँ महागौरी ।।
दुष्टों को दंड देने रौद्र रुप में दंडार्थ देवी भ्रामरी
भक्त वत्सला है,ममता सलिला हैं माँ महागौरी ।
माँ पाप हंता हैं ,नीति -नियंता हैं मसत्यता हैं
त्रिलोक सुंदरी हैं, शीतल चांदनी हैं माँ महागौरी ।।
गंगाजल हैं आशीषों का आंचल हैं माँ महागौरी
नैत्रों में सूर्य की आभा,जग की प्रतिभा हैं माँ गौरी ।
पीले-सफेद पुष्प मन भाएँ, माँ की असीम कृपा आएं
शिव की शक्ति,विश्व की महाशक्ति हैं माँ महागौरी ।।
मन की मलिनता में भर दें, पवित्रता माँ गौरी
राष्ट्र भाव की प्रवृत्ति में अपार वृद्धि कर माँ गौरी ।
हर नौजवान देश का प्रहरी बनें माँ ऐसा वर दें
सुख-शांति, संपदा का भंडार भर दें महागौरी ।।
— गोपाल कौशल भोजवाल