गुथम गुथा
खूब खाने वाले और खाने बनाने के शौक़ीन मिस्टर भमरा यानी बकलमखुद को कुक्किंग किये 15 साल से भी ऊपर हो गए थे। इस रविवार को मैंने मन में ठाना कि आज सब्ज़ी मैं बनाऊंगा। जब पत्नी साहिबा से इस बात का इज़हार किया तो उस ने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे यह बोल कर मैंने उस का अपमान कर दिया हो। क्या मेरी बनाई सब्ज़ी में कोई कमी है ! वोह अजीब से अंदाज़ में बोली, अरे नहीं नहीं, यह बात नहीं है, दरअसल में कुछ दिनों से मैं सोच रहा हूँ कि मैं अब कुछ नहीं हो गया हूँ, आज सोचा कि अभी भी कुछ तो हूँ, हो जाऊं। पत्नी हंस पढ़ी और बोली, ” मैं तो समझती हूँ कि इतने सालों से जो इतनी एक्सरसाइज़ करके जीवन गाड़ी को आप चला रहे हो, और कोई हो ही नहीं सकता, रही बात खाना बनाने की तो खुद के लिए भी तो मुझे बनाना ही पढ़ेगा, हम दोनों के लिए बनाने में किया मैं थक जाऊंगी ? लो अगर आप का मन चाहता ही है तो सारी समग्री मैं आप के पास रख देती हूँ और आप चेअर पर बैठे बैठे कुक्क करते जाना लेकिन मैं आप के पास ही रहूंगी ” यह बोल कर अर्धांगिनी साहिबा ने किचन वर्क टॉप पर सब्जीआं पिआज़ बगैरा मेरे नज़दीक रखने शुरू कर दिए।
पत्नी साहिबा ने सब्ज़िओं की टोकरी मेरे नज़दीक रख दी। मैंने टोकरी में पढ़ी सब्ज़िओं की ओर देखा, करेले थे, ब्रॉक्ली, गाजरें और मेरा फेवरिट मैरो। मैरो इंग्लैंड में हरे कद्दू जैसा होता है और मुझे बहुत पसंद है। बहुत से भारती लोग इसे इतना पसंद नहीं करते क्योंकि यह पानी बहुत छोड़ता है जिसे ज़्यादा पका कर पानी सुखाना पढता है। पत्नी इसे इतना पसंद नहीं करती लेकिन मुझे बहुत पसंद है। खैर, मैंने कुछ पल सोचा और कुछ नया बनाने का सोचा। मैंने चार प्याज़ लिए और बारीक बारीक काटने शुरू कर दिए। बहुत देर से छुरी पकड़ी नहीं थी, इस लिए पहले कुछ अजीब लगा लेकिन काम चालू कर दिया। आँखों से पानी बहने लगा, पत्नी हंस पढ़ी। कड़ाही में प्याज़ डाल कर नज़दीक ही गैस बर्नर के नज़दीक रख दिया। अब मैंने दो करेले लिए और बारीक बारीक काटना शुरू कर दिया। पत्नी साहिबा हंसती हुई बातें किये जा रही थी लेकिन उस ने कोई सवाल नहीं पूछा। करेले काट कर मैंने कड़ाही के प्याज़ में डाल दिया। अब ब्रॉक्ली के मीडियम साइज़ के टुकड़े किये, दो गाजरों को छील कर टुकड़े कर लिए और अब मैरो को छीलने काट्ने को पत्नी साहिबा को बोल दिया क्योंकि इस की छील कुछ सख्त होती है।
सब कुछ त्यार हो गया और मैंने ऑलिव ऑयल कड़ाही में डाल दिया और गैस ऑन करके प्याज़ और करेलों को भूनने लगा। पत्नी साहिबा हँसे जा रही थी कि आप तो मास्टर चैफ हैं, बिलकुल नई रेस्पी है। प्याज़ और करेलों को भून भून कर ब्राऊन कर लिया। अधरक और लसुन का पेस्ट पत्नी साहिबा ने पहले ही फ्रीज़र से निकाल कर रखा हुआ था, तो यह भी डाल दिया। अब मिक्स मसाला और गर्म मसाला भी डाल दिया और कुछ मिंट बाद इस में अन्य सब्जीआं डाल दी। मिक्स करके ढ़कन ऊपर रख दिया। पंज छै मिनट बाद ढ़कन उठा कर देखा तो सब्ज़ी में पानी बहुत था। अब पत्नी साहिबा कहने लगी, ” ऐसी सब्ज़िओं में भला मैरो कौन डालता है ! “, मैंने कहा, दो चमचे कॉर्न फ्लावर के इस में डाल दो। कॉर्न फ्लावर डालते ही ग्रेवी कुछ गाहड़ी हो गई। पत्नी साहिबा को अब मैंने फ्रिज से एक कप्प भर पनीर लाने को बोल दिया। हँसते हुए उस ने पनीर भी ला दिया जो मैंने सब्ज़ी में डाल दिया। जब सब्ज़ी बन गई तो मैंने पत्नी साहिबा को इस का टेस्ट देखने के लिए कहा। ब्रैड के पीस के साथ जैसे ही उस ने सब्ज़ी मुँह में डाली, उस के मुँह से निकला, जी यह तो कमाल की सब्ज़ी बन गई। मैंने भी सब्ज़ी खाई और मुझे भी बहुत स्वाद लगी। पत्नी साहिबा बोली, ” इस सब्ज़ी का नाम किया रखें तो मेरे मुँह से निकला ‘ गुथम गुथा ‘ जोर जोर से हम हंसने लगे।
— गुरमेल भमरा