धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

मनोरंजन के खेल में छुपा मोक्ष प्राप्ति का संदेश

आज का दौर स्पार्ट फोन का है, जिसमें बच्चों के मनोरंजन के लिए न जाने कितने ही खेल होते हैं, जिन्हें खेल कर बच्चें अपना समय व्यस्त कर आनन्द लेते हैं। लेकिन हमारे बचपन में मनोरंजन के लिए पारम्परिक खेलों (लंगड़ी टांग, पकड़ं-पकड़ाई, छुपम-छुपाई आदि) के अलावा कुछ खेल ऐसे थे, जैसे- कैरम, लूड़ो अथवा साँप-सीढ़ी, जिन्हें खेल कर हमें आनन्द की प्राप्ति होती थी। जहाँ तक मैं समझता हूँ कि बचपन में हमसब ने इन खेलों को अवश्य खेला होगा। बालवय होने से उस समय तो हमें यह ज्ञान नहीं था कि साँप-सीढ़ी के खेल में एक बहुत बड़ा संदेश छिपा हुआ है। इस खेल में 1 से 100 नम्बर तक के अंकों के साथ अनेक सीढ़ियाँ और अनेक साँप दिखाई देते हैं और उसमें छुपा संदेश यह है कि सीढ़ियाँ तो हमें स्थान-स्थान पर धर्मध्यान, जप-तप के साथ मोक्ष मार्ग में अग्रसर होने का संदेश देती है और दूसरी ओर जो साँप हैं वो हमें संसार सागर (मोह, माया, ईर्ष्या, द्वेष एवं परिग्रह के गर्त) में धकेलने का प्रयास करते दिखाई देते है।
सांसारिक प्राणी येनकेन प्रकारेण अपने जीवन की नैया को 98वें अंक (खेलानुसार) तक तो ले आता है, लेकिन मोक्ष (100वां अंक) को पाना उसके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती का काम होता है। मोक्ष को पाने से पहले एक अंक 99 का आता है। यह वो अंक है जो हमें पुनः नीचे (गर्त) की ओर धकेलता है। 98 वें अंक तक तो प्राणी कर्म-धर्म, जप-तप, दान-पुण्य से आ ही जाता है। लेकिन मोक्ष (100 वां अंक) को पाने के लिए हमें संसार सागर रूपी उस विशाल सर्प (99 वें अंक) को तो जितना ही पड़ेगा। इसको जितने के लिए संयम, धैर्य एवं हमारी पुण्यवानी ही काम आयेंगी। यदि हमें 98वें से सीधे 100वें अंक में जाना है, मोक्ष को प्राप्त करना है तो हमें हमारी पुण्यवानी को मजबूत करना ही होगा। साथ-ही-साथ सच्चे भाव से यह चिन्तन भी करना होगा कि- ‘‘हम कैसे अपनी पुण्यवानी को मजबूत करें?’’
अभी-अभी हमनें परम उपकारी 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक दिवस मनाया है। अब यह हमारे हाथ में है कि हमें कर्मबंध करना है या कर्मों की निर्जरा।

— राजीव नेपालिया (माथुर)

राजीव नेपालिया

401, ‘बंशी निकुंज’, महावीरपुरम् सिटी, चौपासनी जागीर, चौपासनी फनवर्ल्ड के पीछे, जोधपुर-342008 (राज.), मोबाइल: 98280-18003