कविता

कविता – जीवन बोध

जीवन के मोड़ पर कैसे चला जाएं,

यह कभी कभी समझ न आएं,

किस कर्म को हम करें यश हम पाएं,

कैसे हम दुनियाँ में जाने जाएं,

किस पथ पर चलें ना चलें,

जीवन का बोध कैसे करें,

किसको हम अच्छा समझें,

किस को हम बुरा समझें,

जिंदगी राह कठिन तो होगी,

कौन हमें सही राह बतलाएं,

जिससे हमें मंजिल हासिल होगी,

उसको हम अपना लक्ष्य बनाएं,

रिश्तें नातें की पहचान हम कैसे करें,

कैसे सम्बधों को हम मजबूत बनाएं,

बेरंग जीवन में ख़ुशी की किरण लाएं,

 आशा का दीप जला प्रकाश फैलाएं,

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश