विश्वास
मुझे इसका रंज नहीं
ले ली जान तूने मेरी
तू दुश्मन बन आता
खंजर
सीने में मेरे उतार जाता
तो कतई रंज न होता मुझको
मलाल है तो बस इक यही
तू दोस्त बन
क़त्ल विश्वास का कर गया
— ब्रजेश गुप्ता
मुझे इसका रंज नहीं
ले ली जान तूने मेरी
तू दुश्मन बन आता
खंजर
सीने में मेरे उतार जाता
तो कतई रंज न होता मुझको
मलाल है तो बस इक यही
तू दोस्त बन
क़त्ल विश्वास का कर गया
— ब्रजेश गुप्ता