कविता

मेरी लेखनी

मेरी लेखनी मेरा अभिमान,

मैं करती इसका बहुत सम्मान,

मन के भावों को लेखनी लिखती,

सही गलत मतलब समझती,

लेखनी हमेशा सत्य ही लिखती,

किसी से यह कभी न डरती,

सत्य को लेखनी उजागर करती,

मन के सब राज यह खोलती,

वही लेखनी धन्य जो बदलाव लाती,

समाज,देश के प्रति प्रेम भरती,

कागज पर लेखनी जब चलती,

एक सकारात्मक संदेश यह देती,

हमेशा सत्य और सुविचार लिखती,

दूसरों को विचारों को परिवर्तित करती,

लेखनी वो  हथियार जिसे सब डरते,

रहस्य उजागर करती झूठ बोलने से डरते

अच्छे अच्छे ताज हिल जातें जब लेखनी चलती,

कोई न खरीद सकता सबका कल्याण करती.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश